Janiye kyon Nahi Chadhti Tulsi Bhagwan Ganesh Par
कोई भी काम शुरू करने से पहले श्री गणेश जी का नाम लिया जाता है। वहीं पूजा में तुलसी का इस्तेमाल भी
महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन भगवान गणेश की पूजा में कभी तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है!
कथा के मुताबिक एक बार तुलसी नदी के किनारे टहल रही थी, वहां भगवान गणेश गंगा किनारे तपस्या कर रहे थे!
भगवान गणेश ने अपने शरीर पर चंदन लगा रखा था। जब तुलसी ने गणेश जी को इस तरह देखा तो आकर्षित हो गई
और उन्हें अपना पति चुनने का फैसला किया। लेकिन गणेश जी तपस्या में लीन थे, जिसके कारण तुलसी कुछ
बोल नहीं सकी। अपने दिल की बात बताने के लिए तुलसी ने भगवान गणेश का ध्यान भंग कर दिया। ध्यान भंग होने के बाद तुलसी ने गणेश जी को अपने दिल की बात बताई।
तुलसी की बात सुनकर गणेश जी ने बड़ी शालीनता से उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। गणेश जी ने कहा
कि वो उस लड़की से शादी करेंगे, जिसके गुण उनकी माता पार्वती जैसे हों। गणेश जी की बात सुनकर तुलसी दुखी हुई
और उन्हें गुस्सा आ गया। तुलसी ने इसे अपना अपमान समझा। तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनकी शादी
उनकी इच्छा के बिलकुल विपरीत होगी। साथ ही कहा कि तुम्हारी दो शादियां होंगी।
तुलसी की बात सुनकर गणेश जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने तुलसी को श्राप दिया कि तुम्हारा विवाह किसी
राक्षस से होगा। गणेश जी के श्राप से तुलसी को अपनी गलती का अहसास हो गया और उन्होंने भगवान गणेश से
माफी मांग ली। माफी मांगने के बाद गणेश जी का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण नाम के राक्षस से होगा।
साथ ही भगवान गणेश ने कहा कि तुम श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाओगी। कलयुग में तुम
जीवन और मोक्ष देने वाली बनोगी। इन सबके बाद भी गणेश पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती। गणेश पूजा में तुलसी का प्रयोग अशुभ माना जाता है।