देवी माँ दुर्गा के 9 रूप और नाम
वासन्तिक नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति माता दुर्गा के उन नौ रूपों का भी पूजन किया जाता है।
माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। इन नौ दिनों में मद्यमान, मांस-भक्षण वर्जित माना गया है। इन नौ दिनों में पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा
जाता है। पवित्र और उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अपवित्रता से रोग और शोक उत्पन्न होते हैं। नौ पवित्र रात्रियों अनुसार माता के नौ रूपों का पुराणों में वर्णन मिलता है।
प्रथम दिवस:- शैलपुत्री
नवरात्रे में मां दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है और साधकों को सभी प्रकार की सिद्धियां स्वतः ही प्राप्त हो जाती हैं।
द्वितीय दिवस:- ब्रह्मचारिणी
दूसरे नवरात्र में मां के ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है। जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं।
तृतीय दिवस:-चन्द्रघंटा
मां के इस रूप में मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चन्द्र बना होने के कारण इनका नाम चन्द्रघंटा पड़ा तथा तीसरे नवरात्रे में मां के इसी रूप की पूजा की जाती है तथा मां की कृपा से साधक को संसार के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
चतुर्थ दिवस:-कूष्मांडा
अपने उदर से ब्रह्मंड को उत्पन्न करने वाली मां कूष्मांडा की पूजा चौथे नवरात्रे में करने का विधान है। इनकी आराधना करने वाले भक्तों के सभी प्रकार के रोग एवं कष्ट मिट जाते हैं तथा साधक को मां की भक्ति के साथ ही आयु, यश और बल की प्राप्ति भी सहज ही हो जाती है।
पञ्चम दिवस:- स्कंदमाता
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